Haryana Ration Card Update: हरियाणा में ताबड़तोड़ काटे जा रहे बीपीएल राशन कार्ड: 13 लाख लोग फ्री राशन से वंचित

Haryana Ration Card Update – इस पोस्ट में हम हरियाणा में बीपीएल राशन कार्डों की कटौती और उससे जुड़े कारणों का विश्लेषण करेंगे। दरअसल खबर यह आई है कि हरियाणा के 22 जिलों में इस महीने यानी जून के महीने में लगभग 3,27,832 राशन कार्ड काट दिए गए हैं। जिसका असर यह हुआ है कि अब करीब 13 लाख लोग ऐसे हैं जिनको जून महीने में राशन नहीं मिलेगा। जो फ्री राशन बीपीएल कार्ड के आधार पर दिया जाता है, वह अब नहीं मिलेगा। इसका सीधा असर प्रदेश की आम जनता पर पड़ा है।

तो सवाल यह है कि यह कार्रवाई क्यों हो रही है? इसके पीछे की गणित क्या है? आंकड़ों का क्या खेल है? इन सभी सवालों पर हम इस पोस्ट में बात करेंगे।

बीपीएल कार्ड धारकों की संख्या कैसे बढ़ी और सरकार ने क्या कदम उठाया?

यह मामला विधानसभा और लोकसभा चुनाव के समय शुरू हुआ था जब भारतीय जनता पार्टी पर यह सवाल उठे कि जो नीति उन्होंने बनाई है, यानी हरियाणा में बीपीएल में शामिल होने की इनकम लिमिट को ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.80 लाख कर दिया गया। जनवरी 2023 में यह बदलाव हुआ।

इसका परिणाम यह निकला कि हरियाणा में बीपीएल कार्ड धारकों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ। देखते ही देखते हरियाणा की 75% आबादी गरीबी रेखा से नीचे आ गई। जबकि हरियाणा पर कैपिटा इनकम में देश में तीसरे नंबर पर आता है। ऐसे में यह आंकड़ा किसी को हजम नहीं हुआ।

सरकार के लिए यह चिंता का विषय बन गया। जांच में पाया गया कि यह सब परिवार पहचान पत्र (Family ID) की वजह से हुआ, जिसमें आम लोगों ने गलत इनकम डाली और BPL कार्ड बनवा लिए।

बीपीएल कार्ड की कटौती और इसके पीछे की गड़बड़ियां

सरकार ने अब इस पर सख्ती शुरू कर दी है। नायब सैनी सरकार ने जून महीने में 3.27 लाख कार्ड काट दिए हैं। जिला वाइज देखें तो:

  • महेंद्रगढ़: पहले 1,85,774 → अब 1,74,483
  • कैथल: पहले 23,587 → अब 21,915
  • सोनीपत: पहले 2,80,836 → अब 2,63,025

बीजेपी सरकार पर विपक्ष ने भी सवाल उठाए कि हरियाणा में 75% बीपीएल आबादी कैसे हो सकती है, जबकि राज्य आर्थिक रूप से समृद्ध है? असल में Family ID में गलत डाटा एंटर करने की वजह से लाखों लोग BPL में शामिल हो गए। सरकार ने चुनावों के कारण उस समय कोई सख्त कार्रवाई नहीं की, लेकिन अब कार्ड कैंसिल किए जा रहे हैं।

कुछ मामलों में गलत कार्ड भी काटे जा रहे हैं। जैसे जींद जिले में दो व्यक्तियों के कार्ड यह कहकर काट दिए गए कि उनके नाम पर कार रजिस्टर्ड है, जबकि हकीकत में उनके नाम पर कोई वाहन नहीं है।

आगे की चुनौती और जनता की परेशानी

बीजेपी ने चुनावों के बाद कार्रवाई शुरू की। लेकिन Family ID सिस्टम में कई खामियां सामने आई हैं – नाम, उम्र, सदस्यों की संख्या और इनकम में गड़बड़ियां। इससे वाकई में जो गरीब हैं, उनके कार्ड भी कट रहे हैं। लोगों को बिना जानकारी दिए कार्ड हटाए जा रहे हैं। जब वे राशन लेने डिपो पर पहुंचते हैं, तब पता चलता है कि नाम लिस्ट में नहीं है। अब देखना यह है कि सरकार इस गड़बड़ी को कैसे सुलझाएगी और क्या जानबूझकर गलत जानकारी देने वालों पर कोई कानूनी कार्रवाई होगी?

Leave a Comment