कौन सा सोलर सिस्टम आपके लिए सही है? जानिए On Grid, Off Grid और Hybrid सोलर सिस्टम का फर्क

दोस्तों, काफी लोग सोलर सिस्टम लगवाने से पहले यह नहीं सोचते कि उनके लिए कौन सा सोलर सिस्टम सही रहेगा और वह बिना सोचे समझे सोलर सिस्टम लगवा लेते हैं। ऐसे में काफी लोगों के पैसे भी खराब हो जाते हैं और उनके द्वारा लगाया गया सिस्टम भी उनके कोई काम नहीं आता। तो यहां पर रिसेंटली काफी लोगों की यह कंप्लेन आ रही थी कि जो उनका On Grid सिस्टम है, उसे लगाने का उनका फायदा नहीं हो रहा।

उसका मेन कारण यही था कि On Grid सिस्टम सिर्फ जब ग्रिड (बिजली सप्लाई) आएगी तभी काम करता है। काफी ऐसी जगह पर On Grid सिस्टम लगा दिया गया था जहां पर दिन में ग्रिड नहीं आती है, तो ऐसे में जो सोलर सिस्टम है वो दिन में काम ही नहीं करता। इसलिए आपको पता होना चाहिए कि कौन सा सोलर सिस्टम कैसे काम करता है और किसके लिए फायदेमंद होता है। यहां पर हम मेन चार तरह के सोलर सिस्टम की बात करने वाले हैं यानी कि चार तरह से सोलर पैनल आप अपने घर पे लगा सकते हैं।

On Grid, Off Grid और Hybrid सोलर सिस्टम कैसे काम करते हैं? पूरी जानकारी

दोस्तों सबसे पहले बात करते हैं On Grid सोलर सिस्टम की। On Grid सोलर सिस्टम में आपको सब्सिडी मिलती है और आप यह गवर्नमेंट वेंडर के थ्रू अपने घर पे लगवा सकते हैं। यह सिस्टम उनके लिए सूटेबल होता है जहां पर 24 घंटे बिजली रहती है। अगर दिन में आपके यहां पर बिजली जाती है हर रोज, तो On Grid सोलर सिस्टम आपके लिए बिल्कुल भी कामयाब नहीं होगा। इसलिए आपको Off Grid की तरफ जाना पड़ेगा।

सबसे पहले समझ लीजिए कि On Grid कैसे काम करता है। इसके अंदर आपका इन्वर्टर ग्रिड की और सोलर पैनल की पावर को मिलाकर आपके लोड को चलाता है जिससे कि आपके ग्रिड की पावर मिनिमम यूज होती है और आपका बिजली का बिल कम हो जाता है। मान लीजिए आपने आपके घर पर 3 किलोवाट का On Grid सिस्टम लगवा लिया और अब आपने अपने घर पर 4 किलोवाट का लोड चला रखा है और आपके सोलर पैनल से सिर्फ 2 किलोवाट की बिजली आ रही है तो एक्स्ट्रा जो 1500 वॉट की सप्लाई जरूरत पड़ेगी वो सोलर इन्वर्टर आपके ग्रिड से लेगा और 2 किलोवाट आपके सोलर पैनल से लेगा, दोनों को मिक्स करके आपके घर के लोड को चला देगा।

इसके अपोजिट अगर आपके घर पर 1 किलोवाट का लोड चल रहा है लेकिन आपके सोलर पैनल से 2 किलोवाट आ रहा है, इस कंडीशन में आपका इन्वर्टर आपका लोड सोलर पैनल से चलाएगा और एक्स्ट्रा जो 1500 वॉट की सप्लाई है वो वापस ग्रिड में एक्सपोर्ट कर देगा। जिससे कि आपने जो बिजली ग्रिड में एक्सपोर्ट की है वो सेल भी कर सकते हैं और इन फ्यूचर आप उस बिजली को वापस यूज कर सकते हैं।

Solar Panel Installation Guide: On Grid vs Off Grid vs Hybrid

दोस्तों मान लीजिए आपने जनवरी के महीने में सिस्टम लगवाया है जिससे कि जनवरी में आपका इतना यूज़ नहीं होता है तो हर महीने आप 100 यूनिट वापस ग्रिड में एक्सपोर्ट कर रहे हो और 5 महीने आपने 500 यूनिट तक ग्रिड में एक्सपोर्ट कर दी। अब आपको जून के अंदर एयर कंडीशनर चलाना पड़ गया है और जून में आपने 500 यूनिट खपत कर दी है तो जो आपने पीछे 500 यूनिट वापस ग्रिड में दी थी वह वहां पर यूज़ कर सकते हैं जिससे कि आपका बिजली का बिल फिर भी जीरो ही रहने वाला है।

तो इस प्रकार यह सोलर सिस्टम काम करता है। तो अब आपको पता चल गया होगा कि On Grid आखिर कैसे काम करता है। तो On Grid लगवाने से पहले एक बात क्लियर देख लें कि आपके घर पर 24 घंटे बिजली आती है या नहीं। हां, हफ्ते में कभी-कभी एक-दो घंटे के लिए बिजली जाती है तो कोई दिक्कत नहीं है, अदरवाइज़ अगर हर रोज का ही यहां पर पावर कट रहता है तो आप On Grid की तरफ मत जाइए।

इसमें सिर्फ आपको सब्सिडी मिलती है, इसीलिए काफी लोग यह लगवा लेते हैं लेकिन इसके अंदर बैटरी नहीं लगती। तो वहां पर बैटरी बैकअप के लिए उन्हें फिर अलग से इन्वर्टर बैटरी का सेटअप लगाना पड़ता है। यहां पर इसके बाद में आता है Off Grid सोलर सिस्टम। Off Grid सोलर सिस्टम कहीं पे भी आप लगा सकते हैं जहां पर बिजली का कनेक्शन भी नहीं है, वहां पे भी यह काम करेगा।

और इसका खर्चा On Grid सिस्टम से काफी ज्यादा होता है क्योंकि इसके अंदर बैटरी का उपयोग होता है। अगर आप सिंगल बैटरी का भी सिस्टम लेते हैं तो लगभग ₹12000 आपके ज्यादा लगेंगे सिर्फ बैटरी के। और ऐसे ही डबल बैटरी के सिस्टम में आपके ₹25000 लगते हैं, चार बैटरी की सिस्टम में ₹50000 लगते हैं। तो वैसे-वैसे इसके अंदर कॉस्ट बढ़ती रहती है। दूसरा, हर तीन से पांच साल के अंदर आपको बैटरी चेंज करनी पड़ती है। तो वहां पे भी कॉस्ट फिर हर तीन से 5 साल में बैटरी की लगती रहती है।

और इसमें भी Off Grid के अंदर आप एक अलग तरह से Off Grid सिस्टम अपनी पुरानी इन्वर्टर बैटरी पर लगा सकते हैं। काफी लोगों को नहीं पता कि अपनी पुरानी इन्वर्टर बैटरी पर कैसे सोलर पैनल लगा सकते हैं। ऐसे में वो अपना पहले पुराना इन्वर्टर बैटरी बेचते हैं और बाद में कंप्लीट नया सिस्टम लगाते हैं तो उनका काफी ज्यादा खर्चा वहां पे बढ़ जाता है। लेकिन अगर आप सोलर चार्ज कंट्रोलर का उपयोग करते हैं तो अपने पुरानी इन्वर्टर बैटरी पे ही सोलर पैनल लगाकर अपने काफी पैसे बचा सकते हैं।

दोस्तों यहां पर आपको मोटा-मोटी 1 किलोवाट के पैनल लगभग ₹20000 में मिलते हैं और कंट्रोलर लगभग ₹3000 में मिलता है। इसके अलावा ₹5000 एक्स्ट्रा खर्चा हो जाता है तो लगभग ₹28000 से ₹30000 में आप अपनी पुरानी इन्वर्टर बैटरी पर ही 1 किलोवाट की पैनल लगा सकते हैं। लेकिन अगर आप फ्रेश न्यू सिस्टम की तरफ जाते हैं तो लगभग ₹55000 से ₹60000 का आपका खर्चा आता है। तो यहां पर इसीलिए काफी लोग यह गलती कर देते हैं कि उनको नहीं पता होता कि कैसे अपनी पुरानी इन्वर्टर बैटरी पे ही पैनल लगाकर अपना काम चलाएं।

इसके बाद में आता है Hybrid सोलर सिस्टम। तो Hybrid सोलर सिस्टम On Grid और Off Grid दोनों को मिलाकर बनाया गया है। जैसे कि On Grid में बैटरी नहीं लगती तो वहां पर आपको बैटरी बैकअप नहीं मिलता। वही Off Grid में आप ग्रिड एक्सपोर्ट का फीचर नहीं ले सकते। तो वह फीचर भी आपको Hybrid में मिल जाता है। तो Hybrid में आपको ग्रिड एक्सपोर्ट का भी फीचर मिलता है, बैटरी बैकअप का भी फीचर मिलता है। इसीलिए इसको Hybrid सिस्टम बोला जाता है।

इसके अंदर आपको सब्सिडी तो नहीं मिलती लेकिन अगर आप दोनों सोलर सिस्टम के फायदे लेना चाहते हैं तो Hybrid सिस्टम लगवा सकते हैं। तो उम्मीद है अब आपको क्लियर हो गया होगा कि On Grid, Off Grid और Hybrid में क्या अंतर होता है।

  • On Grid – ग्रिड एक्सपोर्ट के लिए और बिजली के बिल को कम करने के लिए यूज़ होता है।
  • Off Grid – बैटरी बैकअप और बिजली के बिल को कम करने के लिए यूज़ होता है।
  • Hybrid – ग्रिड एक्सपोर्ट और बैटरी बैकअप दोनों के लिए यूज़ होता है।

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